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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
Charitable functions such as donating foods and outfits towards the needy can also be integral towards the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate element of the divine.
This mantra is surely an invocation to Tripura Sundari, the deity currently being addressed Within this mantra. It is a request for her to satisfy all auspicious wants and bestow blessings upon the practitioner.
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
हव्यैः कव्यैश्च सर्वैः श्रुतिचयविहितैः कर्मभिः कर्मशीला
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
श्रींमन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या
यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं click here सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
ಓಂ ಶ್ರೀಂ ಹ್ರೀಂ ಕ್ಲೀಂ ಐಂ ಸೌ: ಓಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ ಕ ಎ ಐ ಲ ಹ್ರೀಂ ಹ ಸ ಕ ಹ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸ ಕ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸೌ: ಐಂ ಕ್ಲೀಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ